मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में जाम नदी किनारे शनिवार सुबह से शुरू हुए सावरगांव और पांढुर्ना के बीच पारंपरिक पत्थरबाजी के खेल में 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं जबकि 3 की हालत नाजुक बताई जाती है। इन्हें बेहतर इलाज के लिए नागपुर रेफर किया गया है। इस खेल में किसी का हाथ टूटा है तो किसी का पैर… किसी का सिर फूटा है तो किसी को चेहरे पर चोट आई है। बताया जाता है कि मेले में 700 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात हैं। धारा 144 भी लागू कर दी गई है। घायलों के इलाज के लिए 6 अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। इनमें 58 डॉक्टर और 200 मेडिकल स्टाफ तैनात हैं।
हैरानी की बात यह कि शनिवार को आयोजित इस मेले में पांढुर्ना विधायक भी शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इस खेल में हजारों लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक विपक्षी योद्धाओं पर पत्थर बरसाते हैं। इस हमले में किसी को सिर पर तो किसी के पांव और चेहरे पर चोटें आती हैं। इस बार भी बताया जाता है कि खेल में किसी का हाथ टूटा है तो किसी का पैर फ्रैक्टर हो गया है। किसी का सिर फूटा है तो किसी को चेहरे और बहों पर चोट आई है।
गोटमार परंपरा के बारे में सावरगांव निवासी सुरेश कावले का दावा है कि करीब 400 साल पहले इस परंपरा की शुरुवात हुई थी। तब से आज तक इस खेल में 13 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को भी शाम 7 बजे के बाद यह खेल बंद हो गया। लेकिन तब तक पारंपरिक पत्थरबाजी में 900 से अधिक लोग घायल हो चुके थे। वहीं 3 की हालत नाजुक बताई जाती है। इन्हें बेहतर इलाज के लिए नागपुर भेजा गया है।
पांढुर्णा थाना प्रभारी अजय मरकाम के मुताबिक, मौत और घायलों के मामले में अब तक किसी ने भी थाने में शिकायत नहीं की है। मेले से संबंधित कोई केस दर्ज नहीं हो सका है। घायलों में से दो को नागपुर रेफर किया गया है। इनमें एक ज्योतिराम उईके का पैर टूट गया है, जबकि निलेश जानराव का कंधा टूटा है।
