तेलंगाना में यतिन कल्याण कॉलोनी की राजीवनगर बस्ती कई तरह के क्राइम के लिए जाना जाता था. हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं. अब यहां से गुंडे बदमाश नहीं निकलते बल्कि इस इलाके की पहचान अच्छे और सफल नागरिकों के नाम से हो रही है.
राजीवनगर बस्ती रामागुंडम नगर निगम के 19वें डिवीजन में आता है. यहां इस इलाके में असाधारण बदलाव आए हैं. कहा जाता है कि, यहां की गलियों में छोटो-मोटे अपराध होने के कारण पुलिस के छापे पड़ते रहते थे. जिससे यह इलाका गुंडे बदमाशों के लिए कुख्यात हो गया था.
वही गलियां जो कभी गिरोहों की गतिविधियों की खबरों से भरी रहती थी, अब सरकारी कर्मचारियों, डॉक्टरों, शिक्षकों, इंजीनियरों और पुलिस अधिकारियों सहित सफल पेशेवरों का तांता लगा हुआ है.
आज से 10 साल पहले राजीवनगर उच्च निरक्षरता दर और लगातार पुलिस छापों और निगरानी के लिए बदनाम था. आज यहां सबकुछ पहले जैसा नहीं रहा. आज 206 से अधिक परिवारों और करीब 1,100 निवासियों के साथ यह इलाका इस बात पर गर्व करता है कि लगभग हर घर में कम से कम एक व्यक्ति सरकारी विभागों में काम करता है.
यह बदलाव कैसे आया. यह एक बड़ा सवाल है. साल 2007 में, बस्ती के निवासी राजू नायक, रिजर्व सब-इंस्पेक्टर (RSI) की सरकारी नौकरी पाने वाले इलाके के पहले शख्स बने. उनकी सफलता के तुरंत बाद, डॉ. राजकुमार जाधव ने भी सफलता हासिल की. जिन्होंने 2015 में MBBS की पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर के तौर पर सरकारी सेवा में शामिल हुए. वे दोनों इलाके में युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए.
उन दोनों को देखकर कई युवाओं ने अपनी जीवन और अपनी एक अलग पहचान बनाने की ठानी. उसके बाद कई अन्य लोगों ने भी उनका अनुसरण किया और राजीवनगर की पहचान बदल दी. अब यहां शिक्षा और जनसेवा की बात होती है.
अभी देखा जाए तो इस इलाके में पांच डॉक्टर, तीन शिक्षक, दो इंजीनियर, पुलिस विभाग के आठ कर्मचारी, रेलवे और आरटीसी में दो-दो कर्मचारी, एक बैंक कर्मचारी और सिंगरेनी कोलियरी में 28 कर्मचारी कार्यरत हैं. यह इस इलाके के लिए बड़ी उपलब्धि है. हालांकि रिटायर कर्मचारियों की संख्या भी 80 से 100 के बीच होने का अनुमान है.
डॉ. राजकुमार जाधव ने कहा कि, वे एक बहुत ही सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. उन्हें आज भी याद है कि, जब वे गंभीर रूप से बीमार पड़े थे, तो उनके पिताजी उन्हें डॉक्टर के पास ले जाने के लिए बारिश में साइकिल चला कर गए थे. उसी समय उन्होंने पढ़ाई करके डॉक्टर बनने का फैसला किया था.
उन्होंने 2015-16 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. वे अब महबूबाबाद में सिविल असिस्टेंट सर्जन के रूप में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि, वह अपने इलाके के युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए प्रेरित करने की पूरी कोशिश की है.
इसी तरह, वारंगल में एसीपी के पद पर कार्यरत राजू नायक ने अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए कहा कि, बी.टेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, 2007 में अपने पहले ही प्रयास में वे आरएसआई के पद के लिए चयनित हो गए. हालांकि, उससे पहले उन्होंने मजदूरी भी की और चिकन सेंटर में भी काम किया. क्योंकि घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने मेहनत जो करनी थी.
नौकरी मिलने के बाद राजू की जिंदगी बदल गई, लेकिन वह यहीं नहीं रुके. उन्होंने इलाके के अन्य लोगों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया. सर्वश्रेष्ठ पुलिस का पुरस्कार पाने वाले अधिकारी ने कहा कि, आज इस इलाके के कई लोग पुलिस बल और अन्य सरकारी सेवाओं में शामिल हो गए हैं और उन्हें सफल होते देखना उत्साहजनक है.
राजीवनगर की छवि में आया बदलाव साबित करता है कि शिक्षा और अवसर किसी समुदाय को कैसे बदल सकते हैं. कभी “गैंग कॉलोनी” के रूप में जाना जाने वाला यह इलाका अब एक ऐसी बस्ती का प्रतीक है जिसने अपने अतीत को हमेशा के लिए फिर से लिख दिया है.
