कर्नाटक के एक किसान को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. क्यों? क्योंकि उनके चेहरे पर मधुमक्खियां इस तरह बैठती हैं कि लगता है मानो उन्होंने शहद से बनी दाढ़ी लगा रखी हो! लोग प्यार से उन्हें “हनी बियर्ड कुमार” कहते हैं. मधुमक्खी पालन में माहिर इस किसान ने न सिर्फ अपने अनोखे अंदाज से सबका ध्यान खींचा है, बल्कि अपने परिवार के साथ मिलकर इस व्यवसाय को एक नया मुकाम दिया है.
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पेरनजे गांव में रहने वाले कुमार पेरनजे मधुमक्खियां पालन करते हैं. लेकिन उनकी खासियत है उनकी “मधुमक्खी दाढ़ी”. हजारों मधुमक्खियां उनके चेहरे पर इस तरह बैठती हैं कि वह दाढ़ी जैसी दिखती हैं, जिसे देख लोग दंग रह जाते हैं. मधुमक्खियां उन्हें और उनके परिवार को देखती हैं, तो वे प्यार से उनके पास मंडराने लगती हैं.
शहद तो सभी को पसंद है, लेकिन मधुमक्खियों के डंक से हर कोई डरता है. कुमार और उनकी पत्नी सौम्या पेरनजे के लिए ये मधुमक्खियां दोस्तों जैसी हैं. उनके हाथों और चेहरे पर मधुमक्खियां इस तरह बैठती हैं जैसे कोई प्यार भरा स्पर्श हो. यह नजारा देखने वालों को रोमांचित कर देता है.
कुमार ने अपने पिता नरसिम्हा भट से मधुमक्खी पालन की बारीकियां सीखीं. बचपन से ही उन्हें इस काम में रुचि थी. उन्होंने न सिर्फ इस कला को सीखा, बल्कि अपनी पत्नी और बच्चों को भी इसमें माहिर बनाया. हनी फार्मिंग कॉरपोरेशन से डिप्लोमा हासिल कर वे पेशेवर मधुमक्खी पालक बन गए.
उनके 4.5 एकड़ के खेत में 25 से ज्यादा मधुमक्खी के छत्ते हैं. छत्ते के लिए लकड़ी का फ्रेम तैयार करने में पेड़ों को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए कुमार ने खुद सीमेंट के छत्ते बनाए. वे साल में 2-3 बार शहद निकालते हैं और एक छत्ते से 10 से 35 किलो शहद प्राप्त करते हैं, जिससे अच्छी कमाई होती है.
कुमार हर साल मधुमक्खी पालन से 2 से 3 लाख रुपये कमाते हैं. यह कमाई मौसम पर निर्भर करती है. जंगल के बीच बसे उनके खेत से शुद्ध प्राकृतिक शहद मिलता है. शहद का रंग, स्वाद और गुणवत्ता फूलों और मौसम के हिसाब से बदलती है. रबर के फूलों के समय शहद पतला होता है, जबकि स्ट्राइकनाइन पेड़ के फूलों के समय इसमें हल्की कड़वाहट आती है.
कुमार का शहद दुकानों में नहीं बिकता. लोग उनके घर आकर शहद खरीदते हैं. खासकर विदेशों में रहने वाले भारतीय और आयुर्वेदिक दवा निर्माता उनके शहद के दीवाने हैं.
कुमार के साथ उनकी पत्नी सौम्या और बेटे नंदन व चंदन भी मधुमक्खी पालन में हाथ बंटाते हैं. चंदन को इस काम के लिए प्रतिभा दीप पुरस्कार भी मिल चुका है. सौम्या कहती हैं, “कृषि और मधुमक्खी पालन हमारे मन को सुकून देते हैं. इससे हमें स्वास्थ्य, सौभाग्य, लाभ और मानसिक प्रसन्नता सब कुछ मिलता है.”
कुमार का कहना है कि मधुमक्खियां एकता, अनुशासन और समय की पाबंदी का जीता-जागता उदाहरण हैं. अगर मधुमक्खी डंक मार भी दे, तो हल्दी या शहद लगाने से जल्दी ठीक हो जाता है. वे लोगों से अपील करते हैं कि छत्तों को आग न लगाएं, क्योंकि इससे मधुमक्खियों का पूरा परिवार नष्ट हो जाता है.
